सुबह दूध लाने का काम घर के लड़कों या बुजुर्गों को दिया
जाता है, नतीजतन उस दिन यह काम मुझे मिला क्योंकि मैं प्रथम वाले श्रेणी में आता
था। जब दूध लेने ग्वाले के पास पहुँचा तो पता चला कि गाय माता ने नाराज़ होकर
बाल्टी में लात मार दिया है, और सारा दूध धरती पर ऐसे बिखर गया जैसे गाय माता ने
धरती को दूधों नहाओ और पूतों फलो का आशीर्वाद दिया हो। यह भी देखकर स्पष्ट था कि
गाय माता की डंडे से अच्छी पूजा हुई है और जब मैंने दूध का पूछा तो कहानी
सुनाते-सुनाते ग्वाले ने दो-तीन और जमा दिए। खैर, मुझे क्या, मैं सुधा डेयरी का
दूध लेकर घर पहुँचा क्योंकि यह तो अनिवार्य सेवा थी। इसके बिना एक बच्चे की
खिलखिलाहट क्रंदन में और बाकी सबके चाय की तलब भी नाराजगी में तब्दील हो जाती।
मैं इतना बड़ा हो चुका था कि घर के सुबह की चाय का
अधिकारपूर्वक हिस्सेदार बन सकूँ। क्योंकि हमारे यहाँ चाय एक उम्र के बाद ही
अधिकारपूर्वक मिलता है अन्यथा इसे पाने के लिए जिद और आंसुओं के सहारे सत्याग्रह
करना पड़ता है। इस सत्याग्रह में सरकार कभी मांगें मान लेती है और कभी लाठीचार्ज,
आंसू गैस के गोले, पानी की बौछारें भी झेलने पड़ते हैं। खैर, उस सुबह जो चाय मिली
थी वह अधिकारपूर्वक ही मिली थी। मेरे मामाजी का ढाई साल का बेटा कृष्णा भी वहीं
बैठा था और चूँकि वह चाय पीने के लिए वह अधिकृत नहीं था, इसलिए उसे दूध दिया गया
था।
उसने दूध का ग्लास यह कहते हुए फ़ेंक दिया कि मैं चिमचिम्मी
(पॉलिथीन) माता दूधू (दूध) नहीं पिऊँगा। सबने हँसना शुरू कर दिया। वह कौतुहलवश
सबको देखता रहा । हर रोज़, सब उसे सिखाते थे कि गाय माता दूध देती है। उस बालमन ने
यह सिखा कि दूध देने वाली माता होती है। इसलिए दूध चिमचिम्मी ने दिया है तो वह भी
माता ही होंगी । उसे कहाँ पता था कि दूध तो भैंस, बकरी, भेंडे भी देती हैं, लेकिन
वे विधर्मी हैं, इसलिए वो माता नहीं, अगर ये सब हिन्दू होती तो ये भी माता होती और
यही हाल चिमचिम्मी का भी है।
Bahut badhiya ... bahut hi sahaj aur vinodpurn dhang se gambhir mudde ko uthaya hai ... padhkar achcha laga
ReplyDeleteधन्यवाद
DeleteKya baat hai ... bahut achcha ... lagatar likhiye. ..
ReplyDeleteजरुर
DeleteSir, Is Kahani ka message bahut acha hai. Keep on writing sir.
ReplyDeleteधन्यवाद साकेत तुम्हारे प्यार भरे कमेंट के लिए ... जरुर लिखूंगा और तुमसे शेयर भी करूँगा ...
Deleteबहुत खूब !!
ReplyDeleteआपका कटाक्ष बहुत सही है।
लेकिन माता का दर्जा काफी ऊँचा है और वो भेड बकरियों में नहींं बाँटा जा सकता।
वो तो गौ माता को ही शोभनीय है।