तेरे वादों के करीब
तेरे कृत्यों से दूर हूँ
हक़ की बात नहीं करता
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
हर सितम सहता हूँ
उफ़ नहीं करता हूँ
तख़्त नहीं पलटता मजबूर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
खड़ा रहता हूँ चौराहे पर
ताकि दो हाथों को काम मिले
रोटी की जद्दोजहद में चूर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
खेतों में या अट्टालिकाओं पर
खून जलाता दिख जाता हूँ
बदबूदार पसीने से सराबोर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
तेरी कुर्सी की ओर देखते
पीढियां बीत गई सोंचते
बदलाव और विकास से दूर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ ....
तेरे वादों के करीब
तेरे कृत्यों से दूर हूँ
हक़ की बात नहीं करता
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
हर सितम सहता हूँ
उफ़ नहीं करता हूँ
तख़्त नहीं पलटता मजबूर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
खड़ा रहता हूँ चौराहे पर
ताकि दो हाथों को काम मिले
रोटी की जद्दोजहद में चूर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
खेतों में या अट्टालिकाओं पर
खून जलाता दिख जाता हूँ
बदबूदार पसीने से सराबोर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ
तेरी कुर्सी की ओर देखते
पीढियां बीत गई सोंचते
बदलाव और विकास से दूर हूँ
क्योंकि मैं मजदूर हूँ ....
(तस्वीर स्रोत : DNA India)