Monday, June 11, 2018

माय बेंच के मौसी खरीदते हैं

आज सपने में
दूसरी माँ आई थी
वो वाली नहीं
जिसने हमें जन्म दिया
वो वाली भी नहीं
जिसने हमें शरण दिया
बल्कि वो वाली
जिसने हमें
इस लायक बनाया
कि हम समझ सकें
समझा सकें
लिख सकें
और बता सकें
बोली और भाषा की माँ
और पूछ रही थी
हम सबके बारे में
अपने सब नालायक
बच्चों के बारे में
पूछ रही थीं
कि क्या अस्तित्व समाप्त हो जाएगा
मैथिली का, भोजपुरी का,
मगही का, हिंदी का
और बाकी सब बहनों का
जो अलग अलग गांवों
कस्बों और शहरों में
रहती हैं
कह रही थीं
की तुम्हारी अंग्रेजी वाली
मौसी का तो खूब बोलबाला है
मैने भी गुस्से में
कह दिया कि
वैसे भी हम
माय बेंच के मौसी खरीदते हैं
इसमें नया क्या है
लेकिन तुम पूछ रही हो
तो सबसे पूछ के बताएंगे
अब आपके जवाब का इन्तेजार है ...

#शब्दांश / रणविजय

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