Monday, July 9, 2018

तब मैंने समझा (कविता)


1

जब पहली बार
खल्ली पकड़ी
ना, पकड़ी नहीं
पकड़ाई गई
तदुपरांत
लिखवाया गया
पकड़े था कोई
मेरे हाथ
फिर कुछ आड़ी-तिरछी
कुछ ऊपर नीचे
फिर कुछ उसका नाम
तब मैंने समझा
यही सीखना है मुझे

2
फिर कहा गया
जो सिखा है
उसे जोड़ो
अन्यथा वो
बेमतलब है
या कम से कम
किसी काम का नहीं
फिर उन्हें
जोड़ना सिखा
फिर उसका कुछ
अर्थ बताया गया
तब मैंने समझा
यही सीखना है मुझे

3
फिर कहा गया
कि शब्द अकेले
नाकाफी हैं
सीखो इनका
विन्यास बिंधना  
फिर जैसे माँ
अपनी बालों को
गूंथा करती थी
मैंने शब्दों को
गूंथना सिखा
तब मैंने समझा
यही सीखना है मुझे

4
जब उन
शब्द विन्यासों को
एक वाकय का
रूप दिया
तब कहा गया
इनका तारतम्य रखो
अपनी बुद्धि को चुनौती दो
अपनी समझ से संघर्ष करो
फिर लिखो
तब मैंने समझा
यही सीखना है मुझे

5
जब मैंने सिखा
वह सब
नाराज हो गए
कई लोग
कुछ ने कहा
विवेक से काम लो
व्यावहारिक बनो
चुप रहना सीखो
अपनी समझ बढ़ाओ
समझौता करो
तब मैंने समझा
यही सीखना है मुझे
समझौता करना ... चुप रहना ...



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