आज सर-ऐ-राह लगी है मेरे ईमान की बोली मेरा ईमान खरीदकर अपना ईमान ऊँचा कर ले
#शब्दांश /रणविजय
वाह बहुत बढ़िया
ये उछलते-कूदते शब्द अख़बारों के ये चीखती आवाजें बुद्धू-बक्सदारों के ये अजीब बेचैनी इन रसूखदारों के ये छलांग, ये चीखें, ये बेचैनी, ये फ...
वाह बहुत बढ़िया
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